













- Brand: Pravasi Prem Publishing India
- Language: Book
- Weight: 0.22g
- Dimensions: 20.00cm x 13.00cm x 2.10cm
- Page Count: 156
- ISBN: 978-81-989462-5-6
मुनि क्षमासागर जी द्वारा आपसी संबंधों के विषय पर दिए गए प्रवचनों का यह संकलन, संबंधों में खोयी हुई मिठास वापस भरने और आपसी संबंधों की सरसता बनाये रखने हेतु अत्यधिक उपयोगी है। पाठक को पता भी नहीं चलता कि कैसे मुनिश्री उन्हें छोटे-छोटे उदाहरणों के माध्यम से संबंधों को सुन्दर और यथार्थ बनाने के बहुमूल्य सूत्र सिखा देते हैं। आचार्य भगवन्तों ने परिवार-निर्माण और आगामी पीढ़ी को संस्कार ने की जो प्रक्रिया रखी है, मुनिश्री की सहज और सरल शैली से वह प्रक्रिया और अधिक प्रासंगिक और उपयोगी मालूम पड़ती है।
मुनि क्षमासागर (20 सितम्बर 1957) ने 10 जनवरी 1980 को नैनागिरि में क्षुल्लक दीक्षा, ऐलक दीक्षा 7 नवम्बर 1980 (मुक्तागिरि) और मुनि दीक्षा 20 अगस्त 1982 में प्राप्त की। आपके दीक्षा गुरू संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी रहे। मुनिश्री ने 13 मार्च 2015 को समाधि ग्रहण की। श्री क्षमासागर जी महाराज के न केवल प्रवचन बल्कि लेखन भी संपूर्ण समाज को विलक्षण तरीके से सात्विक और समर्थ जीवन जीने का मार्ग दिखाता है।